क्या सोचा है कभी....(ProsePoetry)

मौत के मुंह से वापस हुए हो कभी.....
क्या कभी सोचा है,जो करते हो,उसका प्रभाव कहां तक है...
और है तो कैसा है,अच्छा या बुरा...
अच्छा है,बुरा है,लेकिन क्यों,क्या सोचा है कभी....
मौत के मुंह से वापस हुए हो कभी.....

क्या कभी किसी की दुआए ली है दिल से.....
हां या नहीं,
हां तो क्यों,नहीं तो क्यों.....
जानने कि कोशिश करी है कभी.....
मौत के मुंह से वापस हुए हो कभी.....

क्या किसी की प्राथमिकता बने हो कभी....
हां,अक्सर किसी का!!!!क्यों?
जिज्ञासु हुए हो कभी,कि ये क्या है, अलहदे हो तुम उन सब में,उस भीड़ में....
जानने की कोशिश करी है कभी....
मौत के मुंह से वापस हुए हो कभी.....

ये कुछ नहीं,एक अनूठापन मात्र है बस, जो बनाता है कुछ प्रथक तुमको इस सांसारिकता से......

आशीष है गुरु-वाणियो का,परस्परता है सह-उम्र विचारों की..उम्मीदें हैं उन अनुजों की,जो निर्भित हैं किसी ना किसी प्रयोजन से...जो तुमको अथक करता है...

तुम्हे कुछ भी कर गुजरने से साधारणतय:,बिना किसी विलंब,असुविधा के....

है तो कुछ!!! जो उद्दीप्त करता है तुम्हें,जब थक जाते हो तुम अनवरत प्रयासों से.....
क्या सोचा है कभी,....
मौत के मुंह से वापस हुए हो कभी.....💜✍️
             


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Comments

  1. ♥️💙💕शानदार।

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  2. अति सुन्दर भावाभिव्यक्ति ��������

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    1. धन्यवाद भाई पुष्कर🙏🏽💜🧡❤️🤎

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