बखूबी याद है मुझे....

याद है...
बखूबी याद है...
उनका धूप में खड़े होकर घंटो निहारना मुझे...
याद है....
बखूबी याद है कि
उनको बुलाने पर मना करना पहले उनका,फिर मेरा भी हामी भर देना उनके मनाही को,कि उनका दौड़े चले आना फिर......
याद है
बखूबी याद है....

उनका नाराज हो जाना बेवजह ही अक्सर....,इंतजार में मनाने को मुझसे....
मेरा भी नाराज हो जाना इसपर कि नाराज हैं इस "राज" से वो, कि मनाने लगना उनका मुझे हर कोशिशोप्रयास कर...
कि याद है मुझे
बखूबी याद है...

कि रोने लगना उनका हर बार की तरह, हर बार, हंसते हंसते....
मुस्कुराहट होंठो पे साथ ही आंखों में पानी का रहना अक्सर....
कि याद है...
बखूबी याद है....

उसकी आंखों पे काजल का जचना भी नागवार था उसे,कारण कि नहीं पसंद था मुझे अपनी आंखों पर...
याद है मुझे
बखूबी याद है मुझे

उनका याद आना मुझे,या मुझको उनकी याद आना...
हमारी नींदों में भटकना उनका, कि उनकी जगती आंखों में मेरा खटकना
याद है मुझे
बखूबी याद है.....
मेरे हंसने पर पार्टी ही दे देना उसका उस दिन
कि सुस्त होने पर धार बह जाना उसकी आंखों से
याद है मुझे....
बखूबी याद है.....✍️
                           ~उदयराज सिंह
                    

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