हमने ही छोड़ दिया था उन्हें.....✍️(Poetry)

हमने ही छोड़ दिया था उन्हें....
जब हद से ज्यादा उठते देखा था उन्हें.....
कि छोटे हो रहे थे हम...
दिन ब दिन....


हमने ही छोड़ दिया था उन्हें...
जब हमारी आंखों में आंसू होने के बावजूद मुस्कुराते देखा था उन्हें...
कि पिघलने लगे थे हम...
दिन ब दिन...

हमने ही छोड़ दिया था उन्हें...
कि ऊंचाइयां छू रहे थे वो...
कि नीचे नहीं देख रहे थे वो....
कि सिमटने लगे थे हम...
दिन ब दिन.....

कि हमने ही छोड़ दिया था उन्हें....
पकड़ने से पहले ही...
उनका हांथ....
थामने से पहले ही...
उनका साथ....
संभालने से पहले ही
उनका अस्तित्व,अपने जीवन में...


कि छोड़ा नहीं था पर उनकी याद;गलियां भुला दी थी पर...
कि छोड़ा नहीं था पर,बिताए पल साथ में उनके; कि छोड़ दी थी पर, दी हुई घड़ी उनकी....
कि भुलाया नहीं था उनने भी मुझे,
देखा था उन्होंने मुझे,कर दिया था नजरंदाज,
भुला देते तो कैसे ही करते बताओ भला;?नजरंदाज!!!.....✍️
                             ~उदयराजसिंह'अपराजित



LinkedIn: Uday R Singh
KooAppIndia: UdaiRajSingh



Comments

  1. You never fail to amazed your audiences. Superb💓Just keep on writing like this🤗 Really appreciable 👏

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  2. I love to read your poetries 😊They are amazing.

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  3. 😃New one. I always wait for your poetries 😁. No words to describe my happiness after reading it.🤐

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