पहली असफलता,घुटन का आभास,फिर भी अटूट अपेक्षाएं....✍️




कोई नहीं था साथ,मन में अटूट उथल-पुथल;दिल के टुकड़े टुकड़े होते प्रतीत होते हुए........
   दोपहर की धूप में टहलना सुख देता था;बावजूद इसके कि भाद्रपद का माष भी न लगा था। गर्मी चरम पर थी,पसीना पसीना होने में देर ना लगती!





और कहीं न कहीं वो धूप ही थी जो अपनी सी लगती थी। इंतजार भी रहता था कुछ दोस्तों के फोन का,पर न तो उन्हें कोई खबर थी कि जिसे वो MultiTalented बोलते थे, सर्वगुण संपन्न समझते थे;वह आज खुद से लड़ रहा था, उसके दिल और दिमाग ऑपोजिट डायरेक्शन में मूव कर रहे थे, पर कुछ तो था जो उनको आपस में Interact कर रहा था; शायद मुझे अपने मां-बाप का इकलौता लड़का होना। मैं घर में रहकर भी बेघर सा महसूस कर रहा था।
 जिस पर 17 सालों से अटूट विश्वास किया(GOD),वह भी धोखा देता प्रतीत हो रहा था.....

एकाएक फोन की घंटी बजती है,फोन उठाते ही एक नाम जो शायद मेरे लिए सिर्फ 2 साल ही पुराना था,पर दशकों पुराना महसूस होने लगा था;
 फोन उठाते ही आंखों में आंसू आ चुके थे, शायद वह पहली बार थे इससे पहले कभी ऐसा महसूस नहीं किया था।
 किया भी था तो कोई मानता ही नहीं था कि, मैं रोया भी होऊंगा कभी;मेरे आंखों में आंसू गिरे भी होंगे कभी।
 लेकिन इस बार वातावरण कुछ और ही था; मेरे "हूं" कहते ही उसने कहा 'आंसू पूछो' 
ऐसा सुनकर मेरी नजर सिर के पास लेटी मम्मी के पास गई... मम्मी मेरे दूसरी ओर सिर घुमाकर लेटी हुई थी; शायद सो रही थी।
 फिर कुछ सांत्वना हुई कि, "चलो किसी ने देखा नहीं"।
 बात करने के बाद मैंने 4 साल पुराने दोस्त के पास फोन किया जो मुझे सर्वेसर्वा समझता था, उसने मुझे आईना दिखाया कि 'मैं क्या हूं'........असल में मैं मैं वो नहीं जैसी मेरी प्रतिक्रिया थी जैसा मैं React कर रहा था.....मुझे आभास हुआ फिर मैंने Amma Jiii को,(वही 100 किलोमीटर दूर गांव में रहती थी) के पास फोन किया...........engage.......NotConnected.....फिर किया.....फिर वही.....! चार बार के बाद फोन लॉक कर दिया!!!!
 अचानक से फोन की बेल बजी; नाम पर नजर गई 'AmmaJii' नहीं लिखा था, पर खुशी हुई एक और दोस्त!!!!! वो दिलासा देता रहता था..... शायद Overrated था(घमंडी नहीं)Faku!!!! उसकी बातों से मन खुश तो हो जाता था.... पर वह मिथक था, जो कुछ ही देर काम आता था.....

 फोन कटने के बाद एक बार फिर 'Amma' दूसरी सिम से ट्राई किया...... इस बार फिर वही लेकिन शायद यह पहली बार था.......मैंने इतने लोगों को एक साथ फोन किया था....... सिवाय उस एक Particular शख्स के :-)...... लेकिन उसके फोन या Msgs आने का इंतजार रहता था......!!!!!!

लेकिन वो अरमान,अरमान ही बनकर रह गया!!!
     अंततः, जी तो यही कर रहा था कि दुनिया बस रुक जाए,... समय का पहिया रुक जाए,..... शायद यही तनाव था!!!!!! डिप्रेशन था!!!!!!
       बस अपने आप को निष्क्रिय महसूस कर रहा था!!!!!
 रास्ते तो 50 थे मंजिल तक पहुंचने के..... जिसमें 15-20 तो मुझे ही पता थे..... फिर भी मैं सारे रास्ते बंद होते देख रहा था!!!!!! कारण.....??...??...?? शायद लोगों की दूरियां!!!! अपने ही लोगों की दूरियां!!!!!! मुझसे उनका मुझे नजरअंदाज करना, नजरअंदाज करना और करते रहना.....!!!!!
बर्दास्त नहीं हो रहा था अब.....

एक ही काम लगातार करे जा रहा था GoogleNotes पर शायरियां लिख देना........ शायद यही Depression था या Depression की शुरुआत!!!!!


 जब मैं लिख रहा हूं, यह तब तक कि Script है......Writing खराब होने के लिए माफी, क्योंकि मन में ख्याल इतने ज्यादा आ रहे हैं पर हाथ नहीं चल रहे......✍️
(During this, MentalActivity is too much faster than PhysicalActivity....)


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