जवाबों के जवाब...(Poetry)

मैं तुम्हें दूर जाने के लिए कहूंगा,पर तुम मना करदेना कहकर कि तुम खुद क्यों नही चले जाते....
मैं फिर कहूंगा, कि अब कितना दूर जाऊं,कितना तो दूर हूं तुमसे,देखो!!!
तुम मेरे सीने पे हांथ रख के कहदेना,दिख गया,यहीं तो हूं मैं अब भी....
मैं फिर कहूंगा,ये सब बातें होती हैं,विज्ञान इन्हे नहीं मानती कभी....
तुम काट देना मेरी बात इस दफा कहकर कि मनोविज्ञान क्या है फिर....
मेरे पास जवाबों का जखीरा होने के बावजूद तुम उन जवाबों के जवाब देते रहना आखिर तक.......
मैं कहूंगा,मैं नहीं चाहता तुम्हारा साथ,रहना चाहता हूं अलहदा अब इस जहान से...कह देना तुम इसपर कि क्यों खलता है तुम्हे फिर जब उदास होती हूं मैं भी...

हमारे मसले सुलझाने की हरकतों में हम खुद को उलझा रहे होंगे उस बखत,पर तुम ना होने देना ऐसा इस मर्तबा....✍️
मैं फिर कहूंगा,जब मंजर-ए-शफीक(प्रेम) है तो जरूरत ही क्या है मिलने की,देखने की,छूने की,कॉल्स की,मैसेजेस की.....बस है तो है....
तब तुम कहकर सीने से लग जाना मेरे कि हम्म्म सच में विज्ञान ये सब नहीं मानती....✍️
                       ~उदय'अपराजित💥

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Comments

  1. Addcted you😆
    Means your poetries🤭

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  2. Now, no words can define your work. Everytime it become hard to comment on your works. 🤐 Outstanding 👏

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  3. "Poetries often take you to the next level" and your poetries always prove that. Your word selections and the way of representing it, is marvelous. Keep writing this way👏
    Great work🌠

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  4. Just want to say something in poetic tone although I'm not good in it😅
    "जब दूरी लिखी ही है तो मिलने का क्या मतलब
    जब सुकून दूर रहने में ही है तो पास आने का क्या मतलब
    किसी के रोकने से कब तक रुकोगे जब हाथ छुड़ाना ही है तो थामने का क्या मतलब।"

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  5. The frequency of poetry is as same as your good and pure heart👌💕

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