हिंदी दिवस विशेष.....(Poetry)
हिंदी अपितु एक भाषा नहीं,है ये तो एक लोक विचार....
जिसके प्रति प्रति कण कण में देखो,भरा पड़ा है जग संचार...
अ से उदित,ज्ञ पे खत्म,हिंदी ही है निज संस्कार....
महसूस करो,हिंदी अपनी है,तुम हो हिंदी के अवतार...
2.क्यों हम तजते जाते इसको,क्यों बनते हैं हम अनजान
इसकी वाणी इतनी मधुरिम है,भरा पड़ा है पूरा विज्ञान...
ये तो माता अपनी ही है,हम तो है इनकी संतान.....
गर्व से कहते हैं यह प्रण करके,हम ही हिन्दी हैं,हिंदी ही है हिंदुस्तान....
हां,हम ही तो हैं हिंदुस्तान........✍️
~उदय'अपराजित💥
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Great especially the last line😀
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