क्या पाओगे तुम....(Poetry)

हमारा ही दिल तोड़कर क्या पाओगे तुम
अरे,वहां तो तुम रहते हो,अपना ही घर नसाओगे तुम....✍️

ये वादा है,सोच सोच पछताओगे तुम,और सिर्फ पछताओगे तुम..
तरस जाओगे पाने को एक दफा भी,सिर्फ ख्वाबों ख़यालो मै पाओगे तुम...✍️

देख लेना,मुझे ही सोच सोचकर खुद को बेवजह ही सताओगे तुम...
पोंछ आंसू देख सबको,फिर खुद को मनाओगे तुम....✍️

जो हुआ,हां,जो भी हुआ,क्या उसे भूल पाओगे तुम...
भूल भी जाओगे गर तो एक गुजारिश है मेरी,...(Continuing...


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