इजहार मत करना...(Poetry)
तुम इजहार करोगी फिर से,
मैं मुस्कुरा दूंगा फिर से...
उसी अदा से जैसे तुम्हें अक्सर पसंद आ जाती है....
तुम फिर मुझे अपना बना लेने को बोलोगी...
मैं चुपचाप चला जाऊंगा उस डगर से बिना कुछ बोले....
इसे तुम मेरा नजरंदाज करना ना समझ लेना...
और ना ही समझना कि तुममें कोई कमी है....
बस मैं तुम्हे अपने लिए बदलता नहीं देखना चाहता...
और मेरा खुद का बदल जाना फितरती उसूल को तोड़ना भी....
सायद समझ पाओगे कि कहां पर हो तुम और मैं या दोनों.....
साथ ही खड़े हैं हम....पर फिर भी दूर ही मानो....
अब तुम इजहार ना करना कभी,यही कहना चाहूंगा....
नहीं तो मैं गले लगा लूंगा तुम्हे और कहीं फिर जिंदगी भर ना छोड़ूं....
या छोड़ूं तब जब देह शिथिल हो जाए....
प्राण पखेरू उड़ जाएं....
तब सायद तुम अपने आप ही छूट जाओगी...
और तब तुम मेरे आने का इंतजार मत करना...
सच कहूं तो,अब तुम इजहार मत करना.....✍️
~उदय'अपराजित💥
🥺🥺🥺 emotional
ReplyDeleteIt's so beautifully written 😊
ReplyDeleteWow Uday Wow...
ReplyDeleteYou're literally legend 👏💕
You made me emotional with each and evey poetry😧🥺♥️
ReplyDeleteAlways love your poetries ☺️👏😍
ReplyDeleteI'm stunned 🙌... amazing 🔥
ReplyDeleteIts Lovable🥺🥺😌♥️
ReplyDeleteFantastic Poetry Uday♥️❣️💕
ReplyDeleteAgain speechless.❣️💓🥀🍁
ReplyDeleteLovely, beautiful, marvelous. Really Superb work Uday. You always made your readers emotional 🥺
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