ख्वाब और हकीकत......(Poetry)
वो जो बातें छोड़ देता हूं,होश में होता हू जब....
अनवरत बह चलती हैं,सोने के बाद....
शायद पूरी होने को....
अधूरी ना रह पाने को.....
वो जो टूट जाता हूं,होश में होता हूं जब...
जुड़ने लगता हूं, कण कण,क्षण क्षण,ख्वाबों में होता हूं जब...
शायद इसलिए कि बिखर ना जाऊं कहीं....
रह जाऊं इस जहान में,या कहीं उस पार ही सही...
वो विलाप,जो कभी न कर सकता होश में होता हूं जब...
हर प्रलाप हो जाता है,उस बेहोशी में....
माफी,आभार,दयनीय प्रति परिस्थिति...,सब कुछ
सिवाय खुद को जाने हुए, कि क्यों होता है ये सब.......
Continuing
~उदय'अपराजित💥
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Nice uday❣️
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