भारतीय विविधता और वैश्विक प्रकरणता....(Article)

मंदिर में टहलते बड़ी बड़ी दाढ़ी वाले हरे कपड़ो में टहलते फकीर को दक्षिणा दे देना आधुनिक भारतीयता का एक अभिन्न अंग है....
ना सिर्फ मंदिर में टहलते हुए किसी गरीब फकीर को बल्कि देश की अधिकांश दुकानों पर हर भोर फकीरों का लौंग-लोबान सुलगाकर उसका पवित्रवर्धन करना, पवित्रवर्धन करते हुए,दुकानदार के कहने पर दुकान के अंदर तक जाना, जहां श्री साईं की तस्वीर रखी हुई हो,और साथ ही धनकुबेर व विष्णु लक्ष्मी की तस्वीर भी......

ना सिर्फ विष्णु व गणेश लक्ष्मी बल्कि भगवान बुद्ध भी लगभग हर हिंदू मंदिर में देखने को मिल ही जाएंगे...

अधिकांश हिंदू राजा जैन तीर्थंकर की विचारधाराओं के संरक्षक रहे हैं और आज भी भगवान महावीर की समस्त विधि विधान से पूजा अर्चना करना भारतीयता में विविधताओं का संगम ही है......


देश में बच्चों की तबियत खराब हो जाने पर उन्हें किसी पास की मस्जिद पे फूंक डलाना....क्रिसमस पर जीसस की पूजा अर्चना के साथ साथ,उन्हें अत्यंत धूमधाम से मनाना....
क्रिश्चियन स्कूल में हर सुबह मां शारदे की आरती,चंदन वंदन अभिनंदन.....आधुनिक भारतीयता का अंग बन चुका है.....

नवरात्रि के दिनों में सिखों द्वारा मां अम्बे के लिए बड़ी मात्रा में दान आदि करना व उनके प्रति उपवास रखना....
हिंदू महिलाओं द्वारा औसान बीबी के नाम पर संगोष्ठी आयोजित करना जिसमें वे अपनी मान्यताओं की पूर्ति के लिए मिस्ठान्न व तरह तरह के भोग कराती हैं....

कश्मीर की वादियों में गूंजते allamadililliha से लेकर दक्षिणी पठारो में कैद मंदिरों तक की सार्वभौमिकता में आधुनिक भारतीयता छुपी हुई दिखती है...जिसका बने रहना देश की प्रगति में अपना योगवर्धन करता है...किंतु साथ साथ यह भी सुनिश्चित करना होगा कि यह सभी क्रियाएं भारतीयता के दायरे में ही हो रही हों...✍️
            Article By~उदयराजसिंह'अपराजित💥

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