नारी और नारी सशक्तिकरण का मूल और मोल!!!

तू मां दुर्गे की पुत्री है,या साक्षात शारदे तू 
तू इस जग की तारण हारी,प्रति क्षण में ही वार दे तू...
युद्ध में जाते हर क्षत्रप की छुपी हुई तलवार है तू...
सब कुछ पाने वाले खिलजी की अद्भुत हार है तू...
रामायण का अंश ही नहीं,गीता का भी सार है तू...

उन्नत होते दुष्ट दानवों का करती उद्धार है तू...
पद्मावती का तू अवतार है,कर्ण का वंचित तू संसार है...
उपनिषदों की विद्या है,है घर घर की लक्ष्मी तू...

और सदी इक्कीस(21) की तू स्वराज है,है सन् इकहत्तर(71) की तू इंदिरा..
इन्हे मिटाने जो आया, अंत में वो है सदा गिरा...

और नारी शक्ति अटल अमर है, गहराई इसकी अथाह..
मत ललकारो नारी शक्ति को मत रोको उसका प्रवाह...

ये जो कहते हैं तुझे किंचित,
ये जो रखते हैं तुझे वंचित...
तू बन जवाब इस बाध्य रूप का
तू बन जवाब इस असाध्य सोच का...

महाभारत की द्रौपदि मत बन...,बन सत्तावन(57) की लक्ष्मीबाई...
जिसके तलवार/कृपान/असि की खनखन आहट, सदियों तक भी रहे सुनाई...
नारी से ही दुनिया है या हर दुनिया में नारी है..
और त्याग,तपस्या, सह-सम्मान बस,यह हम सब की ही जिम्मेदारी है...
और सशक्त नारी है तू अब,तू बस गौरवान्वित नारी बन...
तू मां दुर्गे की पुत्री है, तू साक्षात शारदे बन...
तू साक्षात शारदे बन...✍️
                  ~उदयराजसिंह'अपराजित💥

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