सुनो.....(Poetry)

सुनो,तुम चांद को देख लिया करना हर रोज...
मैं भी उसे देख,महसूस कर लिया करूंगी
कि कोई है साथ में अब भी मेरे...

जब बारिश हो,तो भीग लिया करना...
थोड़ा ही सही,पर थोड़ा...
और इतना कि बीमार ना पड़ना कभी...
वरना तुम्हें छूकर आने वाली हवाएं,मुझे बीमार कर देंगी...
Hnn,ये सच है,मुझे तुम्हारी नहीं,मेरी फिक्र है...
इसलिए मत नहाना तुम, उस बारिश में सिर्फ मेरे लिए...

पर सांझ पहर तेज चलती हवाओं में एक बार निकल जाया करना...
ताकि मैं भी दीदार कर सकूं, उस हवा में तुमको...

सुनो,तुम दिन में मत निकलना...
ये पीली सूरज की किरणें तुम्हें चुभना शुरू कर देंगी...
नहीं नहीं!!!तुमसे ज्यादा तो नहीं पता हमे कुछ...
आप तो यूं ही....गलत समझ रहे...
हम बस मामूली सा अनुभव बयां कर रहे...जो होता है हर रोज मुझसे,मुझमें.... उस धूप में तुम्हारा इंतजार करते हुए...
जिस धूप में हम एक दूसरे पे हांथ देकर छांव दिलाया करते थे कभी...
चिंता मत करो तुम....मुझे धूप नहीं लगती...
मैं आज भी वही दिन महसूस कर लिया करती हूं...
परिकल्पनाओं में ही सही, भावनाओं में ही सही...
पर तुम होते हो हर रोज हमारे पास...
जब जब तेज हवाएं चलती हैं,तेज धूप होती है या फिर हल्की बारिश.....✍️
                                 ~उदय'अपराजित💥


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