गांधीजी.....(Article)

आज के परिवेश को देखते हुए वर्तमान युवाओं को लगता है, कि गांधी जी अंग्रेजों द्वारा होने वाली अनगिनत घटनाओं और कुकृत्यों को रोक सकते थे...तो hnn ये सच है कि गांधी जी की एक आवाज पर पूरा भारत दहाड़ उठता था...
और ये भी सच है कि उनके अंग्रेजों के विरुद्ध होने वाले आंदोलन सिर्फ भारत ही नहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति बटोर रहे थे...तथा विदेशी फंडिंग भी दी जा रही थी...
लेकिन इसमें यह कहना कि गांधी जी ने कुछ किया ही नहीं ,एकदम निरर्थक और शत प्रतिशत अनुचित होगा...
और ये गांधी v/s भगत सिंह या चंद्र शेखर आजाद या सुभाष चंद्र बोस कहना उतना ही गलत है,जितना कि पृथ्वी को गोल कहना...
बनाम शब्द का उच्चारण तब ही सटीक बैठता हैं,जब विचारधारा के साथ साथ मकसद भी अलग अलग हों... उनमे सिर्फ विचारधारा का ही अंतर था,मकसद का नहीं...
यह बात वो विश्वप्रसिद्ध है कि गांधी जी अहिंसा के पुजारी थे,लेकिन इस बात को भी गलत नहीं ठहराया जा सकता "करो या मरो" का नारा उन्होंने ही दिया था...और अंततः सुभाष चंद्र बोस को समर्थन देना भी शुरू कर दिया था....
अंततः अहिंसा के पुजारी वो कितने ही हो सकते हैं?गीता वो भी पढ़ते थे....


हर जगह अपनी अपनी हर चीज की महत्ता होती है..
     इस विषय पर किसी की आलोचना या महिमामंडन करने से पहले इस विषय पर अवश्य विचार कर लेना चाहिए कि भगवान परशुराम जी से शास्त्रार्थ करने के अंतराल में भगवान राम सही रहे होंगे,या भगवान लक्ष्मण...
नायक भगवान राम ही रहे,फिर वो चाहे पूरी रामायण हो या फिर  सिर्फ सीता स्वयंवर की छोटी सी  घटना....✍️

गीता वो भी पढ़ते थे,महत्व वो पितामह का भी जानते थे और महत्व अभिमन्यु का भी...,मालूम उनको भी था कि जब तक एक दो बहादुर सूली नहीं चढ़ेंगे,सैकड़ों टुकड़ों और विचारधाराओं में खंडित देश में राष्ट्रीयता,भारतीयता की भावना नहीं ही उमड़ेगी...
ठीक वैसा ही हुआ,और समय समय पर होने वाले इन कुछ बहादुरों के बलिदान की ज्वाला लाखों लोगों तक पहुंचने में देर न लगी,जिसने शीघ्र ही एक ज्वालामुखी का रूप ले लिया....अंततः फटने से पहले ही विदेशियों ने देश छोड़ना उचित समझा...और भारत से स्वतंत्रता के लिए ऐलान कर दिया....hnn ये भी सच है कि अंग्रेजों को देश छोड़ने के और भी कई कारण रहे थे....उनके इस ऐलान तुरंत ही बाद...क्या ही हुआ होगा...
तब शुरू हुआ अंतरिक घमासान.... बाह्यजनों द्वारा उत्पन समस्याओं को हल करना आसान होता है,किंतु जब अंतर्जनों द्वारा ही राष्ट्र को तोड़ने की बात आई,इसको हल करने में गांधी जी असमर्थ रहे होंगे..लेकिन यह सत्य है कि उन्होंने राष्ट्र,लोग,समुदाय,यहां तक कि हर परिप्रेक्ष्य से राष्ट्र और मानवता का कल्याण ही चाहा होगा....

अगर उनको राजनैतिक नहीं बल्कि दार्शनिक दृष्टिकोण से भी देखें तो उनके विचार वास्तव में वैज्ञानिक थे...पेशे से वकील बापू ने ना सिर्फ भारत बल्कि अफ्रीका व अन्य अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर अपनी आवाज बुलंद की...
आज  के परिवेश में उनके विचारों, पथों पर न चलकर उनका राजनीतीकरण करके सिर्फ उनका राजनैतिक प्रयोग ही किया जा रहा है...और कुछ नहीं,Gandhism(गांधीवाद) आज विश्व भर की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए,तभी वैश्विक शांति की परिकल्पना संभव है....✍️
                                                       ~उदय'अपराजित💥

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Comments

  1. You know the right way of how to put your points and thoughts before everyone.Great work Uday.🌞

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