राम का गीत..(Poetry)
राम का गीत है,गुनगुनाने तो दो...
ये अवधप्रीत है,आजमाने तो दो..
राम के गीत में,दर्द हमने लिखा..।
मातु सीते की चरणों की छांव है ये...
उनके छांव की मिट्टी सजाने तो दो...
राम की रज में हमको रमाने तो दो...
जिस धरा पर हुए,रघु अज और सगर...
उस धारा पर हमें,गुनगुनाने तो दो...
हैं समाई हुई हैं यहीं जानकी,
इस धरा को...चंदन बनाने तो दो...
राम का गीत है,गुनगुनाने तो दो...
ये भरत रीत है,ये लखन प्रीत है...
राम का गीत है,गुनगुनाने तो दो....
सांझ ढलने तो दो,अस्त होने तो दो....
चन्द होने तो दो,तारे थामने तो दो...
राम के गीत में,मन मचलने तो दो...
मन मचलने तो दो...मन मचलने तो दो...
राम का गीत है,गुनगुनाने तो दो...
~उदय'अपराजित
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