मैं तुम्हें किसी और के प्रेम में पड़ते नहीं देख सकता....(Poetry)

मैं तुम्हें किसी और के प्रेम में पड़ते नहीं देख सकता...
इसलिए होता जा रहा हूं तुम्हारी उस ब्लैकनवाइट फोटो के नजदीक...
जिसका रंग सिर्फ मुझे दिखता है,और सिर्फ मुझे...
औरों के लिए सिर्फ दो रंग हमें इंद्रधनुष की तरह बांधते ही चले जा रहे हैं...
और मैं भी बंधता ही चला जा रहा हूं जान बूझकर....
जान बूझकर कि फिर ना निकल सकूं इस जाल से ..
और कहीं फिर ना प्रेम में पड़ जाऊं तुम्हारे..तब तक तुम पूर्णतया किसी और के हो चुके होगे...
फिर शायद मेरे होकर भी एक अंश उसके पास छोड़ ही आओगी...
पर मैं इसमें भी खुश हो जाऊंगा...जैसे अभी खुश हूं...
जब जब तुम्हारी परछाईं से होकर गुजरता हूं,धूप में खड़ी तुम...
उस डेढ़ गज छांव में स्थिर रहने का जी कर जाता है, अक्सर ही...
फिर मैं आंख बंद कर लिया करता हूं,और मान लेता हूं उस छांव के पार सारी धूप को ही वो छांव...और रमा रहता हूं जब तक सूर्य ढल नहीं जाता,चांदनी खिल नहीं जाती...
तारों की टिमटिमाहट चलायमान रहती है...

और फिर रात में यह सोचकर संतुष्ट हो लिया करता हूं कि वो चंद्रमा,जिसे मैं देख रहा हूं...वो भी तुम्हें देख रहा है...,नहीं कहूंगा कि तुम उस चंद्रमा को देख रही होगी ...तुम्हारे पास तुम्हारा खुद का चांद है,और शायद ऐसी अवस्था में अंबर का चांद नहीं देखा करते...,खैर!!! हमारा चांद को,एवं चांद को तुम्हे देखने को हमारा ही तुम्हे देख रहा होना मान लेना किसी गणितीय समीकरण(इक्वेशन) से कम तो नहीं है,और गणित का नाम आते ही सारी मनगढ़ंत समीकरमीय परिकल्पनाएं चलायमान हो चलती हैं....लेकिन इसमें भी एक संतुष्टि का इंच भर अंश और ढूंढ लाता हूं, कि यहां एक का दूसरे तथा दूसरे के तीसरे के बराबर होने की अवस्था में, पहले और तीसरे वास्तविक रूप में बराबर होते हैं...ना कि किसी अन्य भौतिकी(फिजिक्स) थ्योरियाें की तरह परिकल्पित... लेकिन hnn, हो सकती है अवश्य यह रसायन विज्ञान(केमिस्ट्री) की इनॉर्गेनिक की तरह अन्योन्य अपवादों(Exception) से भरी हुई...
इससे भी प्रेम पवित्र हो सकता है क्या...
अगर hnn तो प्रेम झूठ है,या फिर पूरा चंद्रमा...
क्योंकि तुम्हारा प्रेम क्षणिक है...लेकिन हमारा!हमारा अमृत्य का वरदान लिए सदियों से ऐसे ही चलायमान है,और तब तक रहेगा जब तक सूर्य चंद्र एवं ब्रह्मांड में विद्यमान आकाशगंगा के सभी नक्षत्र,वो बात अलग है..तब तक मैं ना रहूं...,पर प्रेम उस ब्लैकनवाइट तस्वीर और रात्रि में चमकते चंद्रमा से है,जो अनंतता का परिचय देते हुए प्रतिबिंबित हुआ करते हैं....
                                  ~उदयजराजसिंह'अपराजित💥

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