बचपन...(Poetry)
याद आता है अक्सर वो बचपन...अक्सर वो लड़कपन...
वो सैतानियां,वो रुसवारियां...सब याद आता है...
याद आता है...
दादी से कहानियां सुनना,फिर आके बाबा को सुनाना...
कागजों की नाव को नहर में बहाना...फिर उनके बहाव में साथ साथ दौड़े दौड़े चले जाना....
सब याद आता है,hnn वो बचपन याद आता है...
वो धूल में सने हांथ,
गुड्डे गुनिया का खेल...
ना कोई इर्ष,ना कोई द्वेष...
ना कोई रूप,ना कोई वेश...
हमेशा खिलखिलाती खुशी...ना ही कोई क्लेश...
Hnn वो बचपन वाला वेश...
सब याद आता है...
जब अपना भी अपना,पराया भी अपना..ही लगता था...
जब,हमारी चहकहाट से घर मोहल्ला सकता था...
वो बचपन याद आता है,बड़ा याद आता है...
कांस कोई लौटा दे वो बचपन...
कोई लौटा देना पराए में भी वो अपनापन...
वो बचपन,वो बचपन,वो बचपन....
बड़ा याद आता है वो बचपन...
~उदयराजसिंह'अपराजित💥
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