निश्चिंत रहना तुम,पता है तुम्हें,नहीं कहूंगा.....(Poetry)

तुम्हें पता है...
मैं कभी नहीं कहूंगा किसी से...
कि कभी तुमने मुझसे इजहार भी किया था...

मुहब्बत भी करी थी कभी तुमने मुझसे..
जो खत्म हो गई, उस एक मेरे झूठ से...
कि मैं पहले से ही प्रेम में हूं,किसी और में,किसी और से,किसी और के...
नहीं कहूंगा कभी भी किसी से...

कभी नहीं कहूंगा किसी से...
कि कभी तुमने वो गुलाब का फूल भी दिया था मुझे...
एक दोस्त मानकर लेता रहा मैं...
पर घुला था उसमे तुम्हारा निस्वार्थ प्रेम.....
नहीं कहूंगा मैं.....

नहीं कहूंगा कि तुम मुस्कुराते रहे देखकर मुझको हमेशा ही अपने होंठो/अधरों से...
भीगता रहा दिल तुम्हारा हमेशा ही,कारण कि आंसू भी निगल गई तुम,जो मुझे देखकर आते रहे...
नहीं कहूंगा कि उन आंसुओ को भी व्यर्थ नहीं जाने दिया तुमने...
कारण कि उनका कारण भी मैं रहा था...
नहीं कहूंगा किसी से...


नहीं कहूंगा कि तुमने डांट भी लगाई तो नजरे झुका ली...
कि कहीं नजरे रुक न जाए फिर से एकटकी बांध के...
और एक बार फिर इजहार कर दो तुम मुझसे...,
कि गले लगा लूं मैं,और सब शांत एकदम...
नहीं कहूंगा किसी से...

नहीं कहूंगा किसी से, कि ख्वाब में भी रटे हैं नाम तुमने...
खयालों में भी देखी है स्मृतियां मेरी...
आंसुओ की सीप में देखी है झलक मेरे मुस्कुराने की...
नहीं कहूंगा किसी से..
निश्चिंत रहना तुम...
सदा के लिए....
पता है तुम्हे ..
नहीं कहूंगा किसी से....✍️
                                          ~उदय'अपराजित💥

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