बचपन....(Script Writing)

आज जब मैं ऑटो लेकर घर की ओर जा रहा था,तो वो मेरी तरफ मुस्कुराती हुई मेरी ही टैक्सी में चढ़ी और हमारे बगल में आके बैठ गई,साथ में उसकी मम्मी भी थी,जो उसके दूसरी ओर बैठी हुई थी.......
अभी उस सीट पर 1 लोग को और बैठना था...थोड़ी ही देर बाद वो 1 भी आ गया;जब वो चौथा सख्स हमारी ओर बैठने के लिए बढ़ा,तो वो अपनी मम्मी की ओर खिसकने के बजाय मेरी तरफ खिसकी...!!!अब मैंने ये नोटिस किया तो पाया कि देखे ही जा रही थी वो,मुस्कुराए ही जा रही थी वो...जैसे जन्मों से जानती हो... कि थोड़े ही देर में ड्राइवर ने कहा भैया आप आगे आ जाइए,एक लेडीज सवारी बैठेगी वहां...और मैं आगे जाने की ओर चल दिया...उसके चेहरे की मायूसी साफ झलकने लगी थी अब....पर मैं निकल गया आगे आने को....उसे शायद मुझसे पहले ही उतरना था कहीं,हालांकि आगे चलकर वो उतर भी गई... उसकी मम्मी ड्राइवर को पैसे दे ही रही थीं कि वो झट से मेरी तरफ इशारा करके मम्मी से बोली;...मम्मी मम्मी!! इनको भी लिए चलते हैं ना अपने घर...
मैं सहम सा गया एकदम,.....सच में,बहुत प्यारी बच्ची थी वो!!वही 5-6 साल की रही होगी अभी,!!!मम्मी भी उसकी हंसने लगी सुनकर, और,मुस्कुराते हुए मेरी तरफ, बोलीं,बेटा ये बहुत बोलती है...ध्यान ना दीजिएगा..
सच में बचपन कितना प्यारा होता है ना!!..ना कोई पराया,ना कोई द्वेष...सब अपना ही लगता है...जो चीज अच्छी लग गई...उसमें रम जाना और रमे ही रहना,ना कोई पढ़ाई की फिकर ना असाइनमेंट का दबाव,ना भविष्य की चिंता,ना अतीत का शोक...यही है बचपन,बचपन,बचपन...😍✍️
                                                                     ~उदय'अपराजित💥

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