मुझे तुमसे प्रेम है...और तुम्हें उससे...💥

मुझे तुमसे प्रेम है...
और तुम्हें उससे...
तुम्हें उससे प्रेम है...
और मुझे तुमसे...

जिसको मुझसे प्रेम है...
किसी को उससे...
ऐसे हालात देखे है मैंने...

ये प्रेम एक ऐसी कड़ी क्यों है...
जो एक दूसरे से जुड़ी तो होती है...
पर उतनी ही कमजोर...
अगर कड़ियों को थोड़ा आगे या थोड़ा पीछे कर दिया जाए...
तो सारे प्रेम सफल हो जाएं...
"जीवन है चलना है थमना कतई नहीं है" को सोचकर ही दुनिया आज भी चलायमान है...
असफलताओं से प्रेम कटाक्षित होने लगे तो वैश्विक स्थिरता ही न आ जाए...
विश्व गतिशील रहेगा,उसके साथ वह प्रेम भी...✍️
                                                         ~उदय'अपराजित💥

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