और मैं बदले में नहीं मांगता मुहब्बत तुझसे.......(अधूरी)

और मैं बदले में नहीं मांगता मुहब्बत तुझसे...
तू बस देख के हंस दिया कर...इसी में खुश रहूंगा मैं...!
तू बस दोस्ती का हांथ बढ़ा दिया कर,जब जब मिलूं मैं तुमसे...
इसी में मुस्कुरा दिया करूंगा मैं...

बदले में नहीं मैं मांगता तुझसे,तेरा प्यार जताना...
तू बस पहले की तरह मजाक कर दिया कर..
मैं हंस जाऊंगा उसी में मैं....


तू उतना ही मिलना,जितना चाहना...
तू उतना ही बोलना,जितना मानना...
गर सड़क पे जाता देख लूं तुम्हें..
तुम बाईं तरफ देख लेना,अगर मैं दाहिनी तरफ होऊं,गर ना मन करे मिलने का....
मैं मान लूंगा, कि तुमने देखा ही नहीं...


और कभी नजरंदाज करने का भी मन करे...
तो करदेना,रास्ते बदलकर,बड़े बड़े कदमों से....
मैं मान लूंगा, कि शायद जल्दबाजी में होगी कहीं...
उदय
 

अधूरी

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