जब जब मैं अच्छा लगने लगता हूं उसको...
जब जब मैं अच्छा लगने लगता हूं उसको...
तब तब वो उदास हो उठती है, कि फिर कोई उसको इजहार कर जाएगा....
फिर वो मना करता घूमेगा...
फिर किसी से नजरे टकरा जाएगी उसकी...
फिर कोई उसकी मुस्कुराहट पर फिदा हो जाएगा..
फिर कोई उसकी जुल्फों में हांथ फिराने की सोचेगा..
कि फिर कोई सोचेगा उसके होंठो पर अपने होंठ रख देने को..
कि फिर वो बताता घूमेगा कि मैं पहले से ही किसी के साथ हूं...
वो फिर बताता घूमेगा, कि नहीं हो सकता ये...
फिर वो उसे समझता फिरेगा..
झूठ पर झूठ बोलेगा, कि कहीं बुरा न लग जाए उसको...
मालूम है मुझको,वो उसकी बात नहीं मानेगा...
पर फिर भी दिल जल उठता है,जब जब वो अच्छा लगता है...
जब जब वो मुस्कुराता है, मैं भी मुस्कुरा उठती है...दिल में एक जलन के साथ... कि फिर कोई छीनना चाहेगा उसे,जो अभी तक हमारा है भी नहीं...
पर मान लेती हूं अपना,हमेशा ही उसे अकेला देखकर..
वैसे अच्छा तो हमेशा ही लगता है,जब जब वो बहुत ही अच्छा लगता है...
~उदय'अपराजित💥
Comments
Post a Comment