आज अकेले ही मुस्कुरा रहा था मैं....(Poetry-I)
आज अकेले ही मुस्कुरा रहा था मैं..
शायद किसी से प्यार हो रहा था मुझे...
आज मिनटों खड़ा रहा एक ही जगह पर निरर्थक...
धूप थी वहां...
मालूम न हुई पर,मुस्कुरा जो रहा था मैं...
शायद,किसी से प्यार हो रहा था मुझे...
प्यार होने लगा था मुझे!!!...
या फिर उसकी शुरुआत...
कोई तो था खयालों में मेरे,फिर वो चाहे दिन हो, या फिर चाहे रात...
अभी पहले ही स्टेज पर था मैं,लेकिन हो तो रहा था मुझे...
क्या ही हो रहा था अब...शायद प्यार हो रहा था अब..मुझे...
किसी से आंखे लड़ने लगी थी अब कि किसी से इकरार हो रहा था अब..
शायद किसी से प्यार हो रहा था अब...
पता नहीं क्यों,हंस रहा था मैं,मुस्कुरा रहा था मैं...
अपने लिए हंस रहा था मैं,या अपने पर ही हंस रहा था मैं...
कि ऐतबार होने लगा मुझे, कि अब प्यार हो रहा था मुझे...
कि अब खोने लगा था मैं खुद में...
यह जानने कि कौन है वो आखिर...
है भी वो इस जहां में,या सिर्फ ये बस है मेरा पागलपन...
लेकिन ऐतबार तो होने लगा था मुझे...
जाहिर है,अब प्यार होने लगा था मुझे...
लेकिन समझ न पाया अभी तक...आखिर किससे?
कौन है वो?क्यों हमे ही न पता आखिर?
शायद ये आभाष हो रहा था मुझे...
कि अब प्यार हो रहा था मुझे...
अब आभाष में ही प्यार हो रहा था मुझे...✍️
~उदय'अपराजित💥
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