अवतार....(Poetry)

बहुत सी ऐसी दुविधाएं मन में अनायास ही उथल पुथल किया करती हैं.....
पर उनमें ना तो बहुत सी किसी को पता चल पाती हैं,और ना ही अधिकतर लोग सुनना चाहते हैं...
किंतु उस वक्त अगर कोई हामी तक भर दे तो दिलासा हो जाए...
पर उतना भी वक्त नहीं होता किसी के पास....
जीवन में हमेशा ही संतुष्टि बनी रहे,कभी लड़ना ही न पड़े...
ऐसा होना मुश्किल होता है...
कभी कभी तुम्हारे ही लिए गए निर्णय तुमको गलत साबित कर रहे होंगे...
प्रत्यक्ष नहीं परोक्ष रूप से....
पर कर रहे होंगे...
वो दुविधाएं आप किसी से कह नहीं सकेंगे...
शायद जिससे कहने का मन होगा,वो सुन नहीं रहा होगा...
दरअसल वो अवस्था ही ऐसी होगी... कि कोई बात ही ना करना चाहता होगा....
ये वो मौका होता है,जब तुम खुद से बात कर सकोगे..
पर फिर भी हम निरर्थक बातों में पड़कर निरर्थक बातें ही करेंगे खुद से...
अगर तुम खुद से ये कह दो कि वक्त दुबारा नहीं आता...
पर हम खुद को ला सकते हैं उसी अवस्था में,किसी दूसरे वक्त में....
तो शायद हम ला सकते हैं...
अपना ही एक नया अवतार लेकर...
अपना ही एक वृहद अवतार लेकर...
तब शायद आप अपने अतीत को संकीर्ण देखोगे...
                                             ~उदय अपराजित

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