कभी कभी कइयों का प्रेम हमसे होकर गुजर जाता है....और हमें पता तक ना चलता...(Poetry)
कभी कभी कइयों का प्रेम हमसे होकर गुजर जाता है....
और हमें पता तक ना चलता...
और फिर हो जाता है हमें भी उन्ही में से किसी से...
जब देर हो चुकी होती है....!
उसके भाव पीड़ा की अवस्था को पार कर किसी और के लिए या स्वयं में गतिमान हो चलते हैं....
और फिर वह तुम्हें स्वीकारना नहीं चाहता..
कि दुबारा फिर कहीं उस पीड़ा से न गुजरना पड़े....
उसका नकारना ना सिर्फ तुमको उदासीन करता है,बल्कि और भी अधिक धसा देता है तुम्हें उसके भावों में...
कोई तीसरा बचा सकता है तुम्हें...डूबते हुए उस भाव की गंगा में...
तीसरे का चयन उस भाव की गंगा से इतर हो यद्यपि...✍️
उदय'अपराजित
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