स्त्री

आज फिर से सारा श्रंगार किया जा रहा था..
जैसे फिर से बारात सजने को हो...

आज सब देख रहे थे उसे...
ना कोई जेठ का परदा,ना ससुर का..
ना कोई छोटा,ना बड़ा...
क्या ये रिवाज़ो रीति सिर्फ जीते जी...
या सिर्फ स्त्री के लिए?
क्यों नहीं मरने के बाद भी लगते हमारे सांसारिक रिवाज...
क्या सिर्फ आत्मा से ही है बैर,या सिर्फ स्त्री की आत्मा से...

आज पाबंदियों की बेड़ियों को पार कर उड़ चली वो...
बोलो,रोक पाए उसे उड़ने को,तुम्हारे रिवाज..?

आज उस पड़ी देह को देखकर,सिर्फ बिलखा जा सकता था...
बिना किसी प्रत्युत्तर की कल्पना किए हुए...
उस शिथिलता पूर्ण आधार को...
उससे बातें की जा सकती थी...
और सब बातें भी कर रहे थे...

समाज के सामने न बोलने की इजाजत पाने वाली स्त्री..
आज जबरदस्ती बुलाया जा रहा था उसे...
पर आज भी नहीं बोल रही थी वो...
इतनी थी वो आजाद...

स्त्री है वो,जिद्दी है वो...
आज नहीं बोलेगी वो...
रख लो तुम अपने पास,अपने सारे रिवाज...

वो ब्याहती स्त्री की औरों से छुपाकर भरी गई मांग..
जिसकी आंखों में खुशियों की मोतियां पा जाने की कल्पना,स्त्री में...
और आज सबके सामने, भरी गई मांग...!!!!
आंसुओं की सीप के साथ..,वो भी उस पुरुष के..
वो बिदाई का दिन...जब रोई थी वो स्त्री...
आज उस स्त्री को छोड़,बाकी के रो रहे थे सब..


दरवाजे के मुहाने तक कभी ना झांक पाने वाली स्त्री...
आज सब आकर देख जा रहे थे उसे...
दरवाजे से बाहर वाले भी जुटे थे,उसको अग्नि की कोंख में झोंक देने को...
आज चकनाचूर हो रही थी वो सारी बेंडियां,वो सारे रस्मोरिवाज...
जो सिर्फ जीतेजी रहते हमारे साथ...
फिर सब पर लगते एक समान रिवाज..
वही लकड़ी,वही आग...
बिस्तर से लेके तकिया,सब एक समान...
रिवाजों के इस दौर में...वो होता है आखिरी रिवाज...


उड़ने के दौर में उसे सौंप देना समाज के सारे रिवाज...
बड़ी चतुराई से...
आज उड़ चली वो...
बोलो,रोक पाए तुम्हारे रिवाज...

आज समाज के सारे बंधनों को तोड़ उड़ चली वो परी,वो।स्त्री...
सारे सांसारिक मोह को छोड़...
अब उड़ने तो दोगे उसे...
या अब भी रोकेंगे उसे,तुम्हारे रिवाज..

आज,वो थी इस सांसारिकता से दूर,बहुत दूर...
उड़ने को...
अब जी भर उड़ेगी वो..
बिना किसी इजाजत...
अपने तरीके से,अपने रिवाजों से..
अब नहीं रोक पाएंगे,तुम्हारे रिवाज...

बोलो,रोक पाया तुम्हारा समाज...
बोलो,रोक पाए तुम्हारे सांसारिक रिवाज...✍️
                                                            ~उदय'अपराजित💜

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