कारण कि बिना किसी को लिखे ही...लिखी जा सकती है प्रेम पर एक कविता...✍️(Poetry)

आज मैं एक कविता लिखूंगा...
हं हं हमेशा की तरह प्रेम पर ही लिखूंगा...
पर जिक्र भी ना करूंगा,किसी सियाल कबीले की हीर का...
और ना ही तख्तहजारा के रांझा का...

और ना तो इंतजार ही लिखूंगा किसी "सोहनी" के लिए...
उज़्बेकिस्तान के "महिवाल" का,चिनाब दरिया के किनारे पर..

इस बार कहानी का नायक "जफर" भी नहीं होगा...
उस "रूप" का....
जो "देव रूपी आदित्य " संग आगे बढ़ चलने को चल पड़ी होगी...

ना तो "कृष्ण मूर्ति" में समा जाना ही लिखूंगा...
"मीरा" का नृत्य करते हुए...
ना ही राधे के युगांतर प्रेम को...
जो अमर हो गया,कृष्ण की बांसुरिधुन सम....

"शिव" की "सती" की तो बात ही नहीं करूंगा...
और "रोमियो"!!!
उसके लिए तो एक भी शब्द नहीं!!!
जिसने पूरी जिंदगी सिर्फ "जूलियट" को जिया...

अफ्रीका के "याकुत" का मरना...
राजिया बेगम के लिए...
उसके लिए तो जगह ही नहीं दूंगा,अपनी कविता में...
जो "मलिक अल्तुनिया" संग ब्याह दी गईं जबरन ही...

नहीं लिखूंगा प्रथ्विराज पर किसी संयोगिता का प्रभाव...
और ना ही फरसपुत्री मस्तानी का बाजीराव संग की दास्तान...

कलिंग के सम्राट अशोक की मत्स्यैका "कौरवकी" के लिए बात ही नहीं होगी हमारी कविता में...
हम नहीं लिखेंगे किसी की प्रेम कहानी...
कारण कि बिना किसी को लिखे ही...
लिखी जा सकती है प्रेम पर एक कविता...✍️💫💜

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