Maturity.....(,.गमछा)

पहले हम पापा को गमछा ना रखने की सलाह दिया करते थे...
और उन्हें रूमाल रखने को रिकमेंड किया करते थे...की इससे ये नहीं लगता,वो नहीं लगता....गांव वाला लगता है....

और फिर है खुद ही गमछा रखने लगे.....तब शायद अनायलाइज हो गया कि शायद यही मैच्योरिटी है...शायद!!!!!!!!!!यही मैच्योरिटी है...

कन्फर्म नहीं है,पर शायद.....यही है....

जब हमे इससे फर्क पड़ना होना बंद हो जाता है, कि कैसा लगता है...हम वही करने लग जाते हैं,जो हमे कंफर्ट दे!!!

गमछा गर्मियों में पसीना पूछो,ठंड में नाक पोछो...
ज्यादा धूप लगे, ओढ़ लो....!!!!

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