सुनो...सुन रही हो ना....(Poetry)

सुनो,तुम्हें पता है इस "सुनो" के सुनने के लिए तुम एकदम सिहा जाया करती थी...
और फिर एक दिन हमने बंद करदिया ये कहना...

तुम तड़प जाया करती थी, कि आखिर क्या हुआ...
आज हर रोज कह दिया करता हूं...
जब तुम सुन नहीं रही..
सुनो,सुन रही हो ना...
जबकि मालूम है,तुम नहीं सुन सकती...
उस "सुनो" को...
तब भी कह दिया करता हूं...
तुम्हें पता है...
सुन रही हो ना...
कि तुम्हारे लिए इस "सुनो" ने...
कितनी ही कविताएं रच दी...
जो अभी तक सुनी नहीं गई...
जो सुनी भी गईं...
तो तुम ना सुन सकी...
जिस दिन तुम सुन लोगी...
उस दिन या तो कविताएं विलुप्त हो जाएंगी...
या फिर उन हर कविताओं का सुननापन...
सुन रही हो ना...
तुम्हें पता है...!!!
 ~उदय राज सिंह'अपराजित❤️

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