मैने चाहा था...

मैने चाहा था...
मैं नाराज हो जाऊं,तो तुम मुझसे पूछो मेरा हाल...
मैं मुस्कुरा जाऊं तो,
अपने बाएं हाथ से थाम लो कसके मेरा दाहिना हांथ...
और फिर पूछो, कि क्या हुआ...
मैं फिर कहूं...
छोड़ो,और बताओ...
क्या चल रहा है...
तुम उठ खड़ी हो,और सीने से लगा लो मुझे...
फिर पूछो...
अब बताओ क्या हुआ...
अब मैं बिना बताए ना रह सकूं....
और मैं बताने ही चलूं...
कि तुम अपनी उंगली मेरे होंठों पे रख दो...
और कह दो...
मैं समझ गई...
और देदो मेरे हांथ में अपना हांथ,कहकर कि मिलकर सुलझ लेंगे हम...
वैसे...!!!
मैंने कहा ना...
मैंने चाहा था...!!!
                         ~उदय'अपराजित❤️

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