आज फिर उसने कुछ नहीं लिखा...(Poetry)

आज फिर उसने कुछ नहीं लिखा...
आज फिर उसने कुछ नहीं कहा...
आज फिर एक दफा...
अधूरा सा रह गया कुछ....

आज वो फिर मिली थी...
पर फिर भी न मिल सकी...
जो था,वो फिर न कह सकी...
वो फिर न कह सकी...
कि मुझे क्या कहना है...
सिवाय इसके कि "मुझे कुछ कहना है"...

और मैंने भी न पूछा दुबारा कि क्या...
आखिर क्या...!!!?
आखिर क्या कहना है...!!?

वो हंसी,वो मुस्कुराई,आगे को बढ़ी...
पर थाम न सकी मेरा हांथ...
पर थाम लिया था पूरा संसार उसने...
हृदय की गतियों से....
पर फिर भी न उठा सकी...
वो दो शब्द,जिसके लिए उठा लिया संसार उसने...

दो शब्द या दो से भी ज्यादा,या कम....
पर सुनाई दे गए मुझे....
उन हवाओं के दृव्यमान में लिपटी हुई उसके होंठों को बारंबरताएं सब बता रहीं थी...
उसकी आंखें,हामियां जता रहीं थी....
पर बता न सकी वो खुद कभी....
आखिर क्या...!?
                ~उदय'अपराजित❣️

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