बताओ तुम...(गजल)

इबादत कर तो दूं मैं भी...
तरीका गर बताओ तुम...
आसमां खीच लूं कदमों में...
खता भी तो बताओ तुम...
यूं ही क्या है आफताब...
यूं ही क्या है मेहराब...
गजल लिख दूं मैं तुझ पर भी...
गजल गर सिर्फ गाओ तुम...

बताओ तुम बताओ तुम..

आगाज से आकिबत तक...
जरा तुम साथ तो बैठो...
कमी मुझमें अगर पाओ...
बताओ तुम,बताओ तुम..

आजमाइश करो कितनी,हैं हम भी मगर आजिम...
आदाब में आदिल को गर अब घोल पाओ तुम...

आब ए तल्ख से परहेज, आब ए आइना लबरेज...
परीवश सूरते सब हैं,परश्तिष कर तो आओ तुम...


जाआ तो रहे हो अब,मगर एक आरजू है अब...
यही आलाप आखिर है,मुलाआकात आखिर अब...
अमानत होओ मेरी, यही अरमां हमारे हैं...
आयंदा मिलूं तुमसे, नज़र फिर न मिलाओ तुम..।
आश्ना कर न पाऊं मैं तो,गले न फिर लगाना तुम...!
~उदय अपराजित❤️

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