मैं छू लूं तेरे जिस्म को एक बारी कि खयाल अच्छा है...
मैं छू लूं तेरे जिस्म को एक बारी कि खयाल अच्छा है...
मैं जिस्म को तेरे छू लूं कि खयाल अच्छा है..
मैं चूम लूं तेरे होंठो को अपने होंठो से कि खयाल अच्छा है...
महसूस करूं वो गर्मी जो कि तू स्पंदित करती है, जो कि तू स्पंदित करती है, महसूस करूं उस गरमी को कि खयाल अच्छा है।
लिखूं तेरी कमर कि गोलाई पर कि कमर ए आसमां भी सरमा जाए कि खयाल अच्छा है।
लेकिन, क्या वो भी है राजी, पूछ तो ले अए आशिक़ कि सवाल अच्छा है........@उदय
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