कोविड-19 एवं महंगाई....(CovidPandemic and Inflation)
महंगाई,एक ऐसी समस्या,जिसमें हजारों-लाखों लोग प्रतिदिन पिसते रहते हैं,किसी न किसी देश में;......कारण क्या है आखिर इसका, वैश्वीकरण?निजीकरण? या कुछ और.....
कौन होते हैं पीड़ित,किन्हें परवाह होती है,वस्तुओं के महंगे हो जाने की.....
क्या भारत में भी यही हाल है,क्या भारत में भी हर दिन लाखों परिवार महंगाई की समस्या से जूझते रहते हैं....
अगर हां,तो क्यों नहीं चीजें सस्ती की जा सकती....नोटें ही तो छापनी होती हैं मात्र.....?
ऐसे कई प्रश्न हर किसी के मन में अनवरत चलते रहते होंगे तो आखिर क्या ही हो सकता है....आइए देखते हैं....
जैसे जैसे वैश्वीकरण बढ़ता जा रहा है,वैसे वैसे हर एक देश की समस्या किसी दूसरे देश को भी आसानी से प्रभावित करती जा रही है....
आज भारत में पेट्रोल डीजल के दाम आसमान छू रहे हैं....जिसपर हर व्यक्ति के अपने विचार हो सकते हैं....
भारत में भी मूलतः दो तबके हो चुके हैं,एक आक्रामक तो एक रक्षात्मक रवैया अपनाने लगता है,जब बात सरकार तक आ जाती है...
एक गुट सरकार की गलत नीतियों को दोष देते नहीं थकता..,तो दूसरा कोरोनाकाल में हुए नुक्सान की भरपाई को अग्रसित ठहराने लगता है...
किंतु,वास्तव में ऐसी दोनों चीजें उचित नहीं हैं....
ना तो डीजल,पेट्रोल के दाम सरकार की गलत नीतियों के चलते बढ़े हुए हैं और न तो कोरोनकाल में हुए नुक्सान की भरपाई के लिए......वास्तविकता कुछ अलग ही है....
ना सिर्फ मूल्यों में वृद्धि करदेना बल्कि उत्पादन में भी कटौती करदेना,भी अंतराष्ट्रीय स्तर पर पेट्रोलियम की आपदा देखने को मिल रही है...
जब भी किसी वस्तु का उत्पादन उसकी खपत की तुलना में कम होने लग जाता है,तब उसके मूल्यों में वृद्धि हो जाना स्वाभाविक हो जाता है...
लेकिन इतना तो कहा जा सकता है कि सऊदी सरकार अपने देश में बैठे बैठे कई देशों की सरकार आसानी से गिरा सकते हैं....
खासकर कि भारत की राजनीति में इसका कुछ ज्यादा ही प्रभाव देखने को मिलता है....
इसका कारण कहीं न कहीं अमेरिका के ईरान पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगा देना भी है,जो सऊदी अरब को मनमानी करने देता है,और अंतरराष्ट्रीय,खासकर कि एशियाई देशों में बड़े आर्थिक प्रभाव देखने को मिल जाते है....
जिससे विश्व का तीसरा तथा एशिया का चाइना के बाद दूसरा सबसे बड़ा पेट्रोलियम उपभोक्ता होने के कारण सबसे बड़ा नुकसान भारत को ही झेलना पड़ जाता है...क्योंकि चीन,अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों को तनिक भी तवज्जो न देकर ईरान से सस्ते में ही व्यापार कर लेता है......शेष बचता है भारत, बलि का बकरा बनने को.......
सिर्फ इतना ही नहीं,एक के बाद एक समस्याएं जन्म लेते नहीं थक रही,इसी महंगाई के बीच शुरू हो गया इजरायल वा फिलिस्तीन का घमासान युद्ध,जिसने अरब वर्ल्ड को झकझोर दिया...और फिर वही हुआ जैसा कि हर खाड़ी युद्ध के दरमियान होता है,महंगाई....
Source:ArabianBusinessNews
अब इसपर लगाम लगाने के लिए कुछ उपाय ही शेष बचते हैं,जो भारत सरकार को अपनी छवि बचाने तथा तथा आम जन के कल्याण हेतु कदम उठाने चाहिए।
सरकार इन पर लगने वाले टैक्स को खत्म करके भी धूमिल होती छवि को पूर्णतया बचा सकती है...किंतु इसके लिए न तो केंद्र सरकार ही राजी होगी,और ना ही राज्य सरकारें....
विद्यार्थियों के छात्रवृत्ति से लेकर तरह तरह के भत्ते परोक्ष रूप से प्रभावित हो जाएंगे...
किंतु ना पूरी तरह से तो!!!, अगर ये टैक्स 61% से घटाकर आधा ही कर दिया जाए,तो भी देश को महंगाई की महामारियों से आसानी से बचाया जा सकता है।
72 यूएस डॉलर प्रति बैरल के हिसाब से भी देखे तो....
72$ प्रति बैरल=(72X75)₹ प्रति बैरल
5400₹ प्रति बैरल(1 बैरल=158.987 लीटर)
1 लीटर= 5400/158.987=33.987₹ प्रति लीटर
💞(जिसमें तेल कंपनियों द्वारा अरब से भारत लाने का ट्रांसपोर्ट खर्च सम्मिलित नहीं है)
भारत में इस समय पेट्रोल के दाम शतक लगा चुके हैं,जिसमे 61% टैक्स के रूप में राज्य व केंद्र सरकारें साझा करती हैं,तथा अन्य खर्च ट्रांसपोर्टेशन व निवेश का आता है...
Source:BussinessTodayपरंतु सरकार की भी इसमें कुछ मजबूरियां हैं,भारत के पास अरबपतियों की संख्याएं भी काफी सीमित है,सरकार इन्हें ही निचोड़ती है,जितना निचोड़ सकती है,जिसका प्रभाव बाजार पर भी देखने को मिल जाता है....
अरबपतियों के कम होने का जिम्मा सरकार के साथ साथ,विपक्ष और आम जनता को भी बराबर ही उठाना चाहिए।सत्ता किसी की भी हो,देश के अरबपतियों के प्रति समन्वय बनाए रखना सत्तापक्ष की जिम्मेदारी होती है।जिस देश के पास जितने ही अरबपति होंगे,वह देश उतना ही समृद्ध होगा।
विपक्ष को इसमें गुरेज नहीं करना चाहिए,किंतु वह इसमें सरकार के विपक्ष बोलते बोलते अरबपतियों के प्रति भी गलत प्रचार प्रसार करने में संलिप्त हो जाता है,तथा इसका आम जनता पर गलत प्रभाव पड़ता है,जो कहीं न कहीं देश को आर्थिक नुकसान भी झेलना पड़ जाता है।
ना सिर्फ पेट्रोलियम में मूल्यवृद्धि तथा निर्यात में कटौती करदेना बल्कि और भी कई कारक जिम्मेदार हो चुके है...जो आज के परिवेश का भविष्य अनवरत ही लिखते चले जा रहे हैं...
किंतु सिर्फ पेट्रोल डीजल ही नही महंगा है,सरसों तथा अन्य खाद्य तेल भी आसमान छू रहे हैं...
वैसे भारतीय व अमेरिकी अर्थशास्त्री सरसों-तेल महंगे होने को एक सकारात्मक कदम मानते हैं,उनका मानना है कि सरसो का तेल महंगा होगा,तो सरसों महंगी होगी,जिसका सीधा फायदा किसानों को होगा।इसके महंगे होने के कई कारण हो सकते हैं,जिसमे कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का समर्थन करने पर, मलेशिया से Palm Oil का आयात लगभग शून्य करदेना भी एक है,तथा खाद्य तेल पर किसी अन्य तेल की मिलावटी पर रोक लगाना भी.....।
यूरोपीय देशों तथा अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी पिछले एक दशक में खाद्य तेल की कीमत 25 सेंट से बढ़कर 65 सेंट प्रति लीटर हो चुकी है......
आज तक कभी भी इतनी ऊंची छलांग नहीं देखने को नहीं मिली है।
बात किसानों तक आती है तो गेंहू धान जैसी चीज, जो उत्तर प्रदेश जैसे क्षेत्रों में बहुत ही प्रचुरता से उत्पन्न होती हैं,उन्हें भी महंगा कर देना चाहिए,जिससे किसानों का डायरेक्ट फायदा हो सके? इस पर एक्सपर्ट्स बताते हैं कि देश में राशन प्रक्रिया को तेजी से लागू करना भारत सरकार की बहुत बड़ी कामयाबी है जिसे नजरंदाज नहीं किया जा सकता,दूसरा फायदा यह भी है कि भविष्य में कभी भी ऐसी महामारी आती भी है तो किसी भी सरकार पर लोगों के खाद्य-पूर्ति का बोझ कम ही पड़ेगा,किंतु इसका एक नुकसान भी देखने को मिलता है,गेंहू जैसी आवश्यक रोजमर्रा चीज को मिट्टी भाव कर देना कहीं न कहीं उसको उत्पादित करने वाले किसानों के साथ अन्याय है,इसको बैलेंस करना सरकार का कर्तव्य ही नहीं बाध्यता भी होनी चाहिए।
हालांकि हर किसान को किसान सम्मान निधि के तहत 2000/- रुपए प्रति तिमाही प्रदान करना भी एक सराहनीय कदम है,परंतु पर्याप्त नहीं.....
वैसे राशन प्रक्रिया में भी अधिकांश लोग ऐसे हैं, जो वहीं पर उसकी बिक्री कर विनिमय रूप पैसे ले लेते हैं,किंतु क्या फर्क पड़ता हैं!!!?"गेहूं की आंड़ में(छुपकर) बथुआ ने हमेशा से ही पानी पिया है"हम इन कुछेक कारकों के लिए देश के वास्तविक मजबूर तबके को परेशान नहीं कर सकते....
लेकिन सिर्फ यही वस्तुएं तो नहीं,अन्य आवश्यक पदार्थ भी महंगे हुए हैं,hnn यह वास्तविकता है कि पिछले कुछ वर्षों में महंगाई सबसे बड़ी महामारी बनी हुई है,जो सरकार के लिए भी काफी चुनौतीपूर्ण है...वो भी उस देश में जिस देश के लोग प्याज महंगे होने पर सरकार गिरा देते हो....फिर अब तो पेट्रोल महंगा हुआ है....
और जब हम बात करते हैं पेट्रोल महंगे होने की,तो इसका मतलब है उस देश की हर एक चीज को महंगे होने की....
जब भी तेल महंगा होता है,तो उसका सीधा प्रभाव ट्रांसपोर्टेशन के कारण हर आवश्यक चीजों पे पड़ जाता है......जिससे देश में इनफ्लेशन आने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं,और कभी कभी तो खराब नीतियों के चलते अर्थव्यवस्था डिफॉल्ट भी कर जाती है,वहीं पर पता चलता है देश का प्रतिनिधित्व.....
क्या है आखिर इसका उपाय,हम ऐसे मुद्दों पर बात ही नहीं करते जिसका हमारे पास कोई उपाय ही ना हो,और ऐसा कोई मुद्दा नहीं है जिसपर हम बात नहीं करते......
खाड़ी देशों पर अपनी निर्भरता कम करना भी भारत की काफी बड़ी उपलब्धि होगी,परंतु कैसे होगा ये? इसका कोई विकल्प है?
विकल्प तो कइयों कई हैं इसके...जिसमें एक है अधिक से अधिक वाहनों,मशीनों को इलेक्ट्रिसिटी से लिंक करना,और आज यह काफी संभव हो सकता है,देश के अधिकांश हर क्षेत्र में विद्युतीकरण किया जा चुका है,सरकार को चाहिए कि तेजी से E-Vehicle Charging Station का प्रसार करने हेतु भारी मात्रा में निवेशकों को आकर्षित करे....
निवेशकों को आकर्षित करने के लिए पहले सरकार को भी इसमें कूदना पड़ेगा...
हालांकि Reneweble एनर्जी के फील्ड में सरकार ने बहुत ही बेहतर काम किए हैं,जिसमे सौर ऊर्जा के फील्ड में भारत में विश्व में काफी ख्याति बटोरी है....
ना सिर्फ विद्युतीकरण,बल्कि हाइड्रोजन गैस,सीएनजी,एलपीजी,सोलर लाइट्स तथा गोबर गैस जैसी विद्युत उत्पादक यंत्रों को बढ़ावा देकर भी आत्मनिर्भरता को बूस्ट मिल सकता है....
हालांकि अर्थव्यवस्था कितनी भी ध्वस्त हो जाए,भारत का रक्षा बजट पे आंच आना,किसी WW1 के जापान की तबाही से कम न होगा.....
परंतु भारत सरकार इसके प्रति काफी सचेत है....
तेजी से गिरती अर्थव्यवस्था के बीच भी भारत का रक्षा बजट बढ़ा ही है,जो भारत की आंतरिक व बाह्य सुरक्षा के लिए काफी बेहतर कदम है....
क्यों नहीं हम ये सब फ्यूचरिस्टिक हथियार अपने ही देश में,अपने ही लोगों को रोजगार देकर अपने खुद के लिए निर्मित कर सकते?
हालांकि इसका काम चल तो रहा है,किंतु गति की बात करें तो बहुत ही धीमा प्रवाह है अभी..
Make In India ही नहीं,Make by India भी जब तक नहीं हो जाता,तब तक पश्चिम की भांति महाशक्ति बनना निरर्थक होगा...
यह तभी संभव है जब ग्राम प्रधान,प्रशासनिक अधिकारी से लेकर उच्च नेताओं व पार्टी के हाई कमांड तक में कुछ कर गुजरने का जज्बा होगा,और इसके साथ साथ लड़खड़ाती जीडीपी भी पटरी पर लानी होंगी.....
कुछ भी संभव नहीं है....✍️
जयतु भारतम्🇮🇳
Written by~UdayRaj Singh💥
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You have the talent to hold your reader until the last. Informative one,thanks for sharing 🙏
ReplyDeleteVery right brother, it will flourish even more, one day you will become the best blog writer . 👍👍
ReplyDeleteSuperb Very creative Superior work udai❤️
ReplyDeleteGreat share and too much useful💞
ReplyDeleteWaiting for next💥
ReplyDeleteआप बहुत अच्छा लिखते हैं सर 🙇🙇
ReplyDeleteLiterally, you're Great💗