तालिबान और अखंड भारत के परिपेक्ष्य में भारत की भूमिका....

आज दुनिया में बढ़ती धार्मिक कट्टरता को देखकर मन में अस्वाभाविक उथल पुथल होना स्वाभाविक है....,
परंतु इसका सबसे ज्यादा बुरा प्रभाव देखने को तब मिलता है जब बात एशियाई देशों की आती है...!!

हाल ही में अफगानिस्तान पर किए गए तालिबानी नियंत्रण से सिर्फ अफगानी ही नहीं पूरा विश्व सहमा हुआ है।कुछ उनके विरोध में तो कुछ उनके समर्थन में खड़े होते नजर आ रहे हैं,और कुछ अन्य महत्वपूर्ण देशों के उन पर रवैए के इंतजार में....

चीन रूस जैसे देश अफगानी सरकार की तुलना में तालिबानी शासन को अधिक सुव्यवस्थित मानते हैं,जबकि तालिबान का जन्म ही रसिया के प्रभुत्व को कम करने के लिए हुआ था; यहां यह कहना भी गलत न होगा, कि भौगोलिक राजनीति में किसी के समर्थन करने या ना करने का पर्याय यह नहीं होता कि वास्तव में वह ऐसा ही कर रहा है,यह उनका निजी स्वार्थ भी हो सकता है.....
पाकिस्तान खुद में ही एक कट्टरपंथी सेना समर्थित सरकार होने के चलते तालिबान का विरोध नहीं कर सकता जिसके चलते तालिबान पाकिस्तान को अपना दूसरा घर भी मानता है.....

लेकिन अब बात आती है भारत के भूमिका की....
मूलतः तालिबान ने अभी तक कोई भी भारत विरोधी बयान नहीं दिया है,और कश्मीर मुद्दे, सीएए, एनआरसी पर पूर्णतः निरपेक्षता बनाए रखी है,जिसका कारण भारत के अब 90 के दशक वाला भारत ना होना भी है।लेकिन क्या भारत को सिर्फ अपने व्यक्तिगत हितों का चिंतन करना चाहिए,या अफगानी लोगों के प्रति भी कुछ कदम उठाए जाने चाहिए...और अगर भारत कोई कदम उठाता भी है तो क्या कर सकता है...?
ये बात तो स्पष्ट है कि भारत की तालिबान के प्रति किसी भी नकारात्मक हरकत होने मात्र से ही एशिया ही नहीं बल्कि अमेरिका से लेकर यूरोप तक समस्त देशों में गुट-संयोजन शुरू हो जाएगा.....

लेकिन कुछ ऐसे मुद्दे भी हैं जिससे भारत आसानी से दक्षिण एशिया में शांति स्थापित कर सकता है,hnn ये बात भी इससे अलग नहीं है कि यह एक Long Term Process(दीर्घकालिक प्रक्रिया) है।

इस समय,अफगानी आम लोग से लेकर सेलिब्रिटीज तक में कट्टरता के शिकार होने के चलते अपनी संस्कृति,जीवन यापन,तथा जनमानस के प्रति प्रतिकर्षक भावना उमड़ रही हैं,जो जायज भी हैं...

इस दरमियान भारत/भारतसरकार अखंड भारत बनाने के प्रति अपने कदम बढ़ा सकती है,लेकिन यह अखंड भारत "कथित अखंड भारत" या "गजवा-ए-हिंद" से बिलकुल अलग होगा,जिसका कोई राजनैतिक गणराज्यीय धर्म नहीं होगा,किंतु संस्कृति जरूर होगी।

                      Source:TimesOfIndia

जो धर्म पर आधारित ना होकर संस्कृति से प्रेरित होगा जिसमें "परिवर्तन" रूपी अलंकृति का भी सम्मिश्रण होगा....
एशियन,ऐतिहासिक रूप से बोले तो भारतीय संस्कृति, एक मात्र कड़ी है जो दक्षिण एशिया के खंडित भारतीय उपमहाद्वीप के देशों को एक करने में सहायक साबित हो सकती है।यह अफ्रीकी यूनियन 
,यूरोपीय यूनियन जैसा कोई एक संघ होगा,किंतु इसे प्रतक्ष्यिक रूप से इन यूनियन से तुलना कराना भी उचित नहीं है,भारतीय यूनियन(अखंड भारत),इन यूनियन से भी अलग ही होना चाहिए,जो कि कई संघ(यूनियन),उसूल और सिद्धांत,संस्कृतियों का मिश्रण होगा।
लेकिन क्या ये संभव है,Hnn है,लेकिन तब जब हम अंधविश्वासों,अनावश्यक कर्मकांडो को छोड़कर विज्ञान,आध्यात्म और गणितीय सूत्रों की तरफ बढ़ेंगे।

              Source:Live Learn Involve

जिसकी सबसे बड़ी कड़ी होगी अर्थव्यवस्था!!!!अर्थव्यवस्था एक मात्र कड़ी है जिससे अशांति को शांति, व शांति को अशांति में बिना किसी हस्तक्षेप के परिवर्तित किया जा सकता है,वह भी किसी भी क्षण!!!!!
 
किंतु सबसे जरूरी विषय यह है कि,इसकी शुरुआत कैसे की जाए, कि ऐसा कुछ संभव हो सके....
तो सबसे पहले तो हम देश में व्याप्त भ्रष्टाचार को कम से कम करने की कोशिश करें,देश के मिलियनेर,बिलियनेर के साथ-साथ हर उस व्यक्ति को साथ लेके चलना होगा जो देश का नागरिक है!!!
क्वांटिटी से ज्यादा क्वालिटी आवश्यक होती है,यह हम तालिबान की हजारों की सेना को लाखो अफ़गानियों को हराते,और खदेड़ते हुए देख चुके हैं....
अपने ही इतिहास में जाएं तो कुछ मात्र अंग्रेजों को लाखो करोड़ो भारतीयों पर अत्याचार करते हुए भी महसूस कर सकते हैं...

                 Source:TheIrishTimes

लोगों के क्वालिटेटिव-शिक्षा पर जोर देना होगा,जिसकी शुरुआत देश की सुव्यवस्थित,सृजनात्मक व सुदृढ़ अर्थव्यवस्था से ही संभव है....
हम दक्षिण एशिया के कई देशों में उनको रोजगार,निवेश, शिक्षा जैसी बुनियादी चीजें मुहैया करा सकते हैं,जिससे उनको किसी भी अन्य कट्टरपंथी गुट या राष्ट्र के प्रभाव में आने की जरूरत ही न पड़े.....

         Source:TheMITPress (Eli Berman)

यहां ये कहना भी गलत न होगा कि यह दूरदर्शिता चीन जैसी ही कुछ है,किंतु आज के परिपेक्ष्य में देखें तो यह भी कहना उतना ही उचित होगा कि भारत इसका प्रयोग अपने व्यक्तिगत हितों को मजबूत करने के लिए नहीं करेगा,बल्कि अपने हितों के साथ साथ गैर-भारतीय सूक्ष्म,लघु,सीमांत जन को भी संतुष्ट करने का प्रयास करेगा....और यह भी कहना उतना ही सार्थक होगा कि उपमहाद्वीपीय शांति सिर्फ और सिर्फ भारतीय आधिपत्य में ही संभव है!!

ऐतिहासिक रूप से अफगानी लोगों के भारत से काफी मधुर रिश्ते रहे हैं, हमे उनकी अपेक्षाओं को तोड़ना नहीं चाहिए,किंतु इसके प्रति एक भी कदम उठाने से पहले भारतीय अंतरिक सुरक्षा की भी जिम्मेदारी का औचित्य सरकार का बनता है,जिसे नजरंदाज नहीं किया जा सकता,जिसके लिए भारत सरकार किसी ट्रीटी के अंतर्गत उनके हस्ताक्षर ले सकती है,खैर ये तो कुछ अपवाद(Exceptions) हैं,इनको नजरंदाज कर दिया जाए तो अफगानी शरणार्थियों को स्पेशल डिटेंशन सेंटर में उनकी सुव्यवस्थित काउंसलिंग कराकर भारतीय परिपेक्ष्य में ढालने का प्रयास कर सकते हैं...

"Afghani People Raising Indian Sacred Tiranga for mutual respect"

उन्हें रोजगार,शिक्षा के साथ साथ डिफेंस ट्रेनिंग दे सकते हैं और कट्टरपंथियों के लिए उनको प्रतिरोध बना सकते हैं।
ईरानियंस अपने आपके आर्यंस होने का दावा करते हैं,इससे यह साफ प्रदर्शित होता है कि भारतीय संस्कृति राष्ट्र के लिए एक "सॉफ्ट पावर" की तरह है,जिसने हाल ही के दिनों में और भी काफी ज्यादा प्रसिद्धि बटोरी है...
           Source:TheMagazine
अंततः,भारतीय प्रशासन को तालिबान का विरोध करना भारत ही नहीं,बल्कि पूरे महाद्वीप के लिए बेहतर नहीं होगा।अभी तक चीन,सिर्फ पाकिस्तान से ही भारत को उलझाकर खुद चहुतरफा छलांग लगाए जा रहा है,तालिबान का प्रयोग करने से वह तनिक भी न हिचकेगा।निष्कर्ष रूप में कहें तो पहले भारत को खुद को ही मजबूत करना होगा,तभी हम किन्ही ऐसे मुद्दों में उलझ सकते हैं,अन्यथा परिणामतः भारत चीन की तो बराबरी तो वैसे भी नहीं कर पाएगा,पाकिस्तान से भी पिछड़ता ही चलता जाएगा,कारण कि भारत को न तो अमरीका ही पसंद करता है और न तो यूरोप, वर्तमान परिस्थितियां एक भू-राजनीति और कूटनीति मात्र हैं बस,जो समय के साथ-साथ कभी भी बदल सकती हैं...✍️
                                  ~Article by उदय'अपराजित💥


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Comments

  1. सबसे पहले, तुम्हारा नया आर्टिकल लिखा तुमने ये देख के ही चेहरे पर मुस्कान आई।
    दूसरा किसी भी मुद्दे को कैसे प्रस्तुत करना चाहिए की वो रोचक बन जाए, ये कला तुममें खूब है जो सराहनीय है। शब्दों के चयन से लेकर चित्रों तक की जितनी तारीफ़ की जाए कम है। भगवान करे तुम यूहीं जीवन में आगे बढ़ते जाओ और हर कामयाबी को हासिल करो, ईश्वर तुमपे सदैव अपनी कृपा बनाएं रखें। अप्रतिम, अविश्वसनीय 🙏🌟°

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  2. Aapke Vicharo ka kaayal ye Paathak😄😃
    Want to read more💓💕

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  3. Waah waah uday ji, आपने तो तालिबान को अपने शब्दों से ही धाराशयी कर दिया😂

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  4. 🥇🥇🥇🥇🥇🤍👌

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