क्या याद तुम्हें भी आती है...(Poetry)
क्या याद तुम्हें भी आती है...
वैसे ही ठीक सताती है...
क्यों सांसे सहमी सहमी हैं...
दिल में क्यों गहमागहमी है...
क्या बातें तुमको याद हैं...
सच कहो,क्या हम भी याद हैं...
क्या याद है,छूना मेरा....
हाथों से हांथ मसलना तेरा...
तेरा मेरे हाथों को,गर्दन के तले दबा लेना...
क्या याद है तुझको वो भी...
तो मेरी खुद ही खबर लेना...
आते हैं ख्वाब खयाल सभी...
जैसे मुझको समझाते हों...
जो जाते हैं,वो आते हैं...
जो आते हैं,फिर जाते हैं...
फिर आएंगे,फिर आएंगे...
बिसरो उनको, वगरना सताएंगे...
यादें जो निकलती हैं नहीं...
मन है जो छटपट होता है...
औरों की बातों में आकर...
क्यों वही वही फिर अखरता है...
क्यों पीड़ा दिल में आती हो...
जैसे बालों को सहलाती हो...
और कहती हो,फिर मिलने को...
हद को बस पार करने को...
पर नींद सुबह खुल जाती है...
फिर से यादें रह जाती हैं...
कहो क्या याद तुम्हें भी आती है...
वैसे ही ठीक सताती है...❤️✍️
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