अवधी
पहुंची सिताहु देखी प्रभु राम केही....
फूल तोरत,एक फूल की तना लगे...
प्रभिहु देखी शिय, पतन केरे पीछे...
लुकाई रही प्रभु देखी मुसकाने...
मुस्कराई जाती सिय, सगरी सहेली संग...
झेंपी रही, हाय श्रंगार रचाने...
कौन है ehi राजकुमार भला...
श्यामल सूरत पे चंद्र सोहे लगे...
और जो चमक पड़े,सीता के चेहरे की...
लगे कौनोउ मन्दाकिनी उतरी आई...
उदय अधूरी
One try for awadhi
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