तुम्हें पता है...मैंने तुम्हें जीवित रखा है...(Poetry)

तुम्हें पता है...
मैंने तुम्हें जीवित रखा है...
अपने मरे हुए एक एक अवशेषों में...
जिनमें तुम हो सकते थे...
एकदम पराए...
पर रखा है हृदय से आलिंगित जिसमें ना तो खोया ही जा सकता है...
और न ही पाया जा सकता है...
बस महसूस किया जा सकता है...
कि है कोई,जो भार लिए फिरता है...
उस प्रेम रूपी समंदर का...
जिसका बहाव ना तो रोका जाता है...
ना ही काम किया जा सकता है..
बस बढ़ाया जा सकता है चंद्रमा की रोशनी में...
जो होती चली जाती है श्वेत...
अधूरापन छोड़ते हुए...
जिसे विज्ञान ज्वार कहता है...
और प्रेमी प्रेम का इतवार...✍🏿♥️
@उदय'अपराजित♥️

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